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फूल खिलेगा या झाडू चलेगी

कुछ कहना है ©
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जैसे-जैसे 7 फरवरी नजदीक आ रही है, दिल्ली की धड़कने बढ़ती जा रही हैं। नेताओं की सांसे फूलती जा रही हैं। जी हां, 7 फरवरी को दिल्ली में नेताओं की किस्मत ईवीएम में कैद होने वाली है। पूरे देश की नजरें इस समय दिल्ली पर टिकी हुई हैं।

दिल्ली विधानसभा चुनावों में मतदान की तारीख नजदीक आते ही उम्मीदवारों की बेचैनी बढ़ती जा रही है। सभी पार्टियां अपनी-अपनी जीत का दावा कर रही हैं। कुछ तो अपनी जीत को लेकर आश्वश्त हैं तो अपनी हार-जीत के समीकरण बिठाने में व्यस्त हैं। ओपिनियन पोल सर चढ़कर बोल रहे हैं, पाटिर्यों के आकड़े डोल रहे हैं।

राजनीतिक पार्टियां जनता को रिझाने के लिए एक से बढ़कर एक वादे कर रही हैं। बिजली, पानी और मकान से लेकर हर एक बुनियादी सुविधांए देने का बढ़-चढ़ कर वादा किया जा रहा है। लंबे-लंबे घोषणा पत्र जारी किए जा चुके हैं। वादों की झड़ी लग चुकी है। मतदाताओं को लुभाने के सारे हथकंडे चले जा चुके हैं।

इस बीच पार्टियां एक दूसरे की टांग घसीटने में भी पीछे नहीं है। आरोप-प्रत्यारोप का दौर लगातार जारी है। एक दूसरे की इज्जत पर कीचड़ उछाला जा रहा है। विपक्षी की साख को मिट्टी पलीत करने की सारी चालें चली जा रही हैं।

वोटों की खींचा-तान जारी है। प्रत्याशी ज्यादा से ज्याद वोट अपने पाले में करने की जद्होजहज में व्यस्त हैं। दिल्ली की सड़कें राजनीति से पटी पड़ी हुई हैं। पग-पर सियासत का खेल खेला जा रहा है। दिल्ली दंगल में तब्दील हो गई है। नेता ताल ठोंक रहे है। जनता तमाशा देख रही है।

सभी पार्टी प्रमुख अपनी पार्टी को जीत दिलाने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे है। यहां तक कि प्रधानमंत्री मोदी ने भी दिल्ली का ताज भाजपा के सर पहनाने को लेकर इन दिनों ताबड़तोड़ रैलियां कर मतदाताओं को अपनी ओर लुभाने का भरकस प्रयास कर रहे है।

वहीं पिछले कई चुनावों में हार से बौखलाई कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी दिल्ली का सेहरा कांग्रेस के सिर सजाने की भरकस कोशिश कर रहे है। सोनिया और राहुल ने एक के बाद एक रैलियां कर जनता से कांग्रेस को वोट देने की अपील की है।

दूसरी ओर कांग्रेस भाजपा के मुकाबले राजनीति में बिल्कुल नई अरविंद केजरीवाल की पार्टी आम आदमी पार्टी इन दोनों को भरपूर टक्कर दे रही है। आंखो देखी माने तो इस समय दिल्ली दंगल में सिर्फ आप (आम आदमी पार्टी) और भाजपा ही नजर आ रही है। दोनों पार्टियां दमदारी से ताल ठोंकती नजर आ रहीं है। जनता का रूझान भी इन दोनों की तरफ ही मालूम पड़ रहा है। कुछ भी कह लें लेकिन लड़ाई इन दोनों के बीच ही मालूम पड़ रही है। दोनों पार्टियां पूरे दम-खम से जनता के बीच अपनी मौजूदगी स्पष्ट करा रही हैं।

सियासतदारों की मानें की मानें तो इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि आप भी भाजपा को कड़ी टक्कर दे सकती है। सर्वे और ओपिनियन पोल के इतर इस बात से भी मुंह नहीं चुराया जा सकता कि , एक ओर जहां भाजपा को केंद्र में सरकार होने का फायदा मिल सकता है वहीं केजरीवाल को पिछली बार उनसे हुई गलती का खामियाजा भी उठाना पड़ सकता है।

अब तो बस 7 फरवरी का इंतजार है। जनता वोट डालने को बेकरार है। नतीजे आने के बाद दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा।

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