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मोदी, झाडू और गंदगी

कुछ कहना है ©
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ड्रामा और हकीकत एक सिक्के के दो पहलू हैं। आज दोनो ही सामने आ गए। अपने आप को प्रधान सेवक बताने वाले मोदी जी ने सड़क के सूखे पत्ते साफ कर सफाई अभियान की शुरूआत की वहीं खुद को आम आदमी बताने वाले केजरीवाल ने गंदी बजबजाती नालियों को साफ किया। अब ​किसने हकीकत में किया किसने ड्रामा यह तो भगवान जानता है या तो फिर वह खुद। लेकिन इतना जरूर कह सकता हूं की इस सफाई अ​भियान के पीछे स्वार्थ निहित है। कुल मिला कर आज मोदी,झाडू और गंदगी के बीच कोई रिश्ता नजर नहीं आया।

​जिस तरह से मोदी ने सफाई ​अभियान कार्यक्रम को अंजाम दिया वह तो महज एक ढोंग था। पहली बात तो कोई सज—धज कर व नए स्त्री किए हुए कपड़े पहन कर तो अपने घर पर भी झाडू नहीं लगाता,रोड में लगाना तो दूर की बात है। और दूसरी बात मीडिया को हफ्तों पहले से सूचित करना कार्यक्रम को प्री—प्लान्ड ड्रामा बनाता है, आज—कल तो कोई सफाई कर्मचारी भी किसी को बता कर झाडू नहीं लगाने जाता । और तीसरी बात रही मीडिया के समाने व सज धज कर कार से आना और फिर झाडू लगाना,लोगो को तो पड़ोसी भी घर के बाहर झाडू लगाते देख लेते हैं तो वह झेंप जाते हैं। इन सब पर गौर करें तो मालूम चलता है कि मोदी का सफाई अभियान कम ईवेंट ज्यादा था।

अगर मोदी को कुछ साफ ही करना था तो पीएम आवास अथवा संसद भवन में एक दिन के लिए सफाई कर्मचारियों की छुट्टी कर देते और थाम लेते झाडू। अगर इतने से भी पेट न भरता तो निकल पड़ते दिल्ली की गलियों में वहां काफी कुछ था साफ करने को। खैर जो हुआ सो हुआ। अभी भी मोदी जी एक काम और कर सकते हैं,रोजाना अपना बेडरूम ही साफ कर लिया करें वही बहुत है। और रही केजरीवाल की बात तो उनके बारे में कुछ कहने की जरूरत नहीं है,ये पब्लिक है कि सब जानती है। मोदी के इस सफाई अभियान कम ईवेंट के दौरान प्रसंशकों को आटोग्राफ देना कहां तक उ​चित था। भला क्या कोई सफाई वाला आटोग्राफ देता है ? मोदी जी जनता को उल्लू न बनाविंग……

08109555764/09455879256

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